लखनऊः आखिर 443 सालों के बाद एक बार फिर से प्रयाग नगरी को उसका अपना नाम फिर से मिल गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इलाहाबाद (Allahabad) का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज (Prayagraj) करने का फैसला लिया है।
पुराणों से जुड़ा मसला
- बता दें कि, इलाहाबाद का प्रयागराज नाम होने का उल्लेख ऋगवेद, महाभारत और रामायण में भी मिलता है।
- लंबे अरसे से इलाहाबाद की जनता के साथ-साथ साधु और संत भी चाहते थे कि इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से दोबारा जाना जाए।
- इस फैसले से दो दिन पहले मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने कुंभ से संबंधित एक बैठक की अध्यक्षता की थी।
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पौराणिक महत्व
- रामचरित मानस में इसे प्रयागराज कहा गया है।
- यहां के संगम के जल से प्राचीन काल में राजाओं का अभिषेक किया जाता था।
- जिसका उल्लेख वाल्मीकि ने रामायण में भी किया है।
- उन्होंने लिखा है, वन जाते समय श्रीराम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे। भगवान श्रीराम जब श्रृंग्वेरपुर पहुंचे तो वहां प्रयागराज का ही जिक्र आया।
- सबसे प्राचीन और प्रामाणिक पुराण मत्स्य पुराण के 102 अध्याय से लेकर 107 अध्याय तक में भी इस तीर्थ का वर्णन किया गया है। उसमें लिखा गया है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती है। इसलिए उसका नाम प्रयागराज पड़ा था।
अकबर ने बदला नाम
- अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों में इसका उल्लेख होता है कि, अकबर ने साल 1574 के आसपास प्रयागराज में किले की नींव रखी।
- अकबर ने यहां नया नगर बसाया जिसका नाम उसने इलाहाबाद रखा।
- जिसके बाद प्रयागराज का नाम इलाहाबाद हो गया।
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बरसो से थी मांग
- अंग्रेजों के शासनकाल में मदनमोहन मालवीय इलाहाबाद नाम बदलने के लिए अवाज उठाने वाले सबसे पहले व्यक्ति थे। साल 1939 में उन्होंने इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम छेड़ी थी।
- वहीं, पिछले साल योगी सरकार के आने के बाद वादा किया गया कि था इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया जाएगा।
‘प्रयागराज’ की खास बातें
- 1526 में मुगलों के अधीन होने पर अकबर ने प्रयागराज का नाम बदलकर अलाहाबाद कर दिया था। जिसका मतलब था अल्लाह का बसाया हुआ शहर। लेकिन बोल चाल की भाषा में इसे इलाहाबाद कहा जाने लगा।
- वहीं पुराणों और हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार इस भूमि पर ब्रह्मा जी ने सबसे पहले यज्ञ संपन्न किया था। प्र से प्रथम और य से यज्ञ मिलकर इसका नाम प्रयाग पड़ा।
- इसे सभी तीर्थों का राजा, संगम नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
- धर्म के केंद्र के अलावा इलाहाबाद पढ़ाई के साथ राजनीति का भी अहम केंद्र रहा है।
- आजादी से पहले जहां जवाहर लाल नेहरू की जन्मस्थली होने के कारण यहां स्थित आनंद भवन आजादी की लड़ाई और सत्ता के केंद्र में रहा।
- वहीं, आजादी के बाद इलाहाबाद ने पढ़ाई में ‘पूर्व का कैम्ब्रिज’ दर्जा हासिल किया।
- अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने योगी सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि, सरकार को इसी तरह से प्रदेश में जितनी भी जगहें ऐसी हैं, जहां नाम गुलामी का प्रतीक है, उसे दोबारा सही नाम देना चाहिए। जिसमें फैजाबाद का भी नाम भी शामिल है।
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