पीरियड्स के बारे में बहुत ही कम महिलाएं अपनी बेटी को बताती है। हालांकि, दोनों को एक ही प्रक्रिया से होकर गुजरना होता है, लेकिन शर्म या फिर कई और वजहों की वजह से एक स्त्री होते हुए वो अपनी खुद को बेटी को इसके बारे में नही बता पाती.
लेकिन पीरियड्स को लेकर लड़कियों के मन में भी कई तरह के सवाल होते हैं। जिन्हें हर मां को समय रहते बता देनी जरूरी होती है।
प्लान इंटरनेशनल यूके के एक शोध में 1000 लड़कियों को शामिल किया गया। शोध में पाया गया कि लड़कियां पीरियड्स की बात पर झिझकती हैं। उनमें से एक तिहाई लड़कियों को पता ही नहीं कि उन्हें पीरियड्स कब होगा?
कब शुरू करें बात..
पीरियड्स को लेकर कब बात करनी चाहिए? ये एक बड़ा सवाल है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया और पश्चिम यूरोप के कुछ विकसित देशों में, लड़कियों को 12 या 13 साल की उम्र में पहला पीरियड होता है। मगर कुछ लड़कियों को जल्दी यानी 8 साल की उम्र में या फिर देर से यानी 16 या 17 साल में पहला पीरियड होता है।
वहीं, नाइजीरिया की लड़कियों में लगभग 15 साल की उम्र में पीरियड होता है। अगर भारत की बात करें तो यहां 12 से 14 साल के बीच पीरियड शुरू हो जाता है।
असल में, एक लड़की को किस उम्र में पीरियड होगा, यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे उसके जीन्स की रचना, उसके परिवार की आर्थिक हालत, खानपान, वह किस तरह का काम करती है और वह जिस जगह पर रहती है, उसकी ऊंचाई कितनी है?
इसके लिए जब भी आपको लगे की आपकी बेटी के शरीर या मूड में बदलाव हो रहा है आप उससे पीरियड्स के बारे में खुलकर बात कर सकती हैं।
सहजता से रखें बात
पीरियड्स की बात सिर्फ बेटी ही नहीं बल्कि बेटों के सामने भी करनी चाहिए। लेकिन यहां बात सहजता और दोस्ताना रूप में करें। ये जरूरी इसलिए है कि बेटी अपने शारीरिक बदलावों से रूबरू होगी। दूसरी ओर बेटे से यह बात करने पर वह महिलाओं की इज्जत करना सीखेगा। वहीं अगर वो पहले से ही वाकिफ होगा तो उसे कुछ अटपटा नहीं लगेगा।
ध्यान से बताएं ये बातें-
– साधारणतया पीरियड्स 28 दिन पर होता है, लेकिन शुरू-शुरू में ये कभी-कभी 21 से 45 दिन के अंतर पर भी हो सकता है।
– ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं कि अगर शरीर में फैट की मात्रा 8 से 12 प्रतिशत से भी नीचे चली जाए, तो पीरियड का होना बंद हो जाता है। दरअसल, फैट की कोशिकाएं एस्ट्रोजन के मुख्य स्रोत होते हैं। शरीर में इसकी कमी हो जाने से पीरियड्स रुक जाती है। अपनी बेटी को यह भी बताएं कि वो इसको लेकर चिंतित न हो।
– अपनी बेटी को बेसिक हाइजीन की जानकारी भी दें। जैसे- सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? कब और कितने समय के बाद नैपकिन बदलना जरूरी है?
– सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल के बाद हाथ क्यों धोना चाहिए? इस्तेमाल किए हुए सैनिटरी नैपकिन को कैसे और कहां फेंकना उचित है? इंफेक्शन से बचने के लिए पीरियड्स के दौरान प्राइवेट पार्ट्स की सफाई पर किस तरह ध्यान देना चाहिए? साथ ही पैंटी की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देना क्यों जरूरी है? इन बातों को भी बड़े ही ध्यान से उसे बताएं।