देश के तमाम राज्यों में एक बार फिर नोटबंदी जैसे दौर देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, तेलंगाना, झारखंड,महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे प्रदेशों में नकदी संकट की खबरें लगातार आ रही हैं। वहीं, दिल्ली- एनसीआर समेत भोपाल, पटना,लखनऊ, हैदराबाद और अहमदाबाद समेत देश के कई शहरों में एटीएम आउट ऑफ कैश चल रहा है।
वहीं, इन हालातों को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार की तरफ से विता मंत्री अरूण जेटली ने भी कुछ जगहों पर कैश की कमी की बात को स्वीकार किया है। जेटली ने कहा है कि, सरकार इस समस्या का समाधान निकाल रही है और दो दिनों के भीतर नकदी की कमी को दूर करने का फैसला जारी किया है।
दरअसल, पहले कैश कम होने की खबरें गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों से आ रही थीं तो वहीं सोमवार को महाराष्ट्र, बिहार और मध्य प्रदेश से राज्यों से भी कैश की कमी की किल्लत देखी गई।
किन वजहों से हुआ नकदी संकट ?
2000 के नोटों की जमाखोरी- बैंक अधिकारियों के मुताबिक 2000 के नोटों की जमाखोरी शुरू हो गई है, जिसके चलते बाजार में बड़े नोटों का प्रवाह घट गया है। बैंकों के पास 2000 के पर्याप्त नोट न होने के चलते एटीएम में भी छोटे नोट ज्यादा डाले जा रहे हैं, जिसके चलते एटीएम में भी कैश जल्दी ही खत्म हो जाता है।
ज्यादा निकासी, कम डिपॉजिट-
बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े जानकारों के मुताबिक बीते कुछ वक्त में बैंकों के डिपाॅजिट में तेजी से कमी आई है जबकि इसी मुकाबले पैसे की निकासी ज्यादा तेज हुई है। यानी बैंकों तक पैसा कम पहुंच रहा है, जबकि निकासी ज्यादा हो रही है।
वहीं केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा है कि अभी सिस्टम में कुल 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपए की कैश करंसी है। इसमें से भी कुछ राज्यों के पास कम करंसी है, जबकि अन्य राज्यों के पास ज्यादा। लिहाजा सरकार ने आरबीआई के साथ मिलकर तय किया है कि ज्यादा करंसी वाले राज्यों से कम करंसी वाले राज्यों को नोट भेजे जाएं, इसके लिए सरकार ने राज्य स्तर पर कमेटी बनाई है।