उत्तर प्रदेश/पीलीभीत: ठंडे मुल्क साइबेरिया से भारत में साइबेरयन पक्षियों का आवागमन हो रहा है। हालांक, यहां पर बसेरे के आस में आए पक्षी अब शिकारियों का शिकार हो रहें है। बता दें कि, साइबेरिया जो कि काफी ठंडा मुल्क है। ठंड के मौसम में वहां चारों तरफ बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है, जिसकी वजह से पक्षियों को खाने और पीने की दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
इसी वजह से ठंडे देश साइबेरिया से मीलो की दूरी तय करके हर साल भारत आते हैं और पीलीभीत को अपनी मेजबानी करने का मौका प्रदान करते हैं। यह पीलीभीत के लिए एक गौरव का विषय माना जाता है, लेकिन हम आज बात कर रहे हैं इन प्रवासी पक्षियों पर गहराता संकट की एक स्थानीय निवासी मीनू बरकाती जो एक समाजसेवी होने के साथ-साथ पर्यावरण प्रेमी भी है और अक्सर ऐसे मुद्दे उठाते रहते हैं।
उनका आरोप है कि, प्रवासी पक्षियों के प्रति ना तो वन महकमा गंभीर है ना ही पक्षियों के शिकार पर अंकुश लगा है। शिकारी इन पक्षियों के शिकार के बाद नेपाल में अच्छे अच्छे भावों में बेच देते हैं। बरकाती आगे कहते हैं कि, साइबेरिया का मौसम सर्दियों में पक्षियों के रहने लायक नहीं रहता। नवंबर शुरू होते ही बर्फ जमने लगती है तब यह साइबेरियन पक्षी प्रवास के लिए रुख करते हैं। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र की ओर कई दिनों की हजारों मील लंबी यात्रा करने के बाद साइबेरियन पक्षी पीलीभीत इलाहाबाद और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों को अपना आशियाना बनाते हैं।
बता दें कि, इन पंछियों की नजरे बड़ी तेज होती हैं और उड़ते समय बे उनका बखूबी इस्तेमाल करते हैं रास्ते में पड़ने वाले विजुअल लैंडमार्क्स जैसे पहाड़ नदियों आदि की सहायता से अपना रास्ता तलाश लेते हैं। अब से करीब एक दशक पहले तक तो सांवरिया सरकार इन पंछियों के पैरों में छल्ले नुमा ट्रांसमीटर लगाती थी ताकि यह पता लग सके की यह पक्षी कब और कहां किस स्थिति में है तथा कितनी दूरी की यात्रा तय करके वापस लौटते हैं? साइबेरिया वापसी पर इनकी जांच भी होती थी लेकिन आप कई सालों से इन बच्चों के पैरों में छल्ले दिखाई नहीं देते हैं। प्रवासी पक्षियों की परेशानी की वजह जलवायु परिवर्तन है।
सर्दी के मौसम में जिले की ओर रुख कर शारदा डैम की शोभा बढ़ाने वाले श्री मीनू के अनुसार साइवेरियन पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। डैम के पानी में झुंड के रूप में मौजूद इन पक्षियों पर शिकारियों की नजर भी पड़नी शुरू हो गई है। ऐसे में इस बार भी शारदा डैम की रौनक बढ़ाने पहुंच रहे मेहमान पक्षियों की सुरक्षा जिम्मेदारों के लिए चुनौती बनी हुई हैं।
प्रथम पंच वर्षीय योजना के तहत मिट्टी से बना 22 किलोमीटर लंबा शारदा डैम क्षेत्र में आहार की अधिकता होती है साइवेरियन पक्षी उसी इलाके को अपना निवास स्थान बना लेते हैं। इसी के चलते डैम के एक से चार किमी तक और आगे 17 किमी से 19 किमी तक पक्षियों की भूख मिटाने का आहार जहां तक दिखाई देता है पक्षी वही अपना बसेरा कर लेता है और साइवेरियन व पक्षियों की अन्य प्रजातियां भी इनमें शामिल होती हैं। और भी सभी पक्षी तेजी से इस इलाके में अपना डेरा बनाने लगे हैं। इधर ठंड बढ़ने के साथ ही प्रवासी साइवेरियन पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। जिसके चलते पक्षियों पर स्थानीय लोगों की नजर पहुंचने लगी है।
सरकार का इन पक्षियों के शिकार को रोकना चाहिए। हमारी भी जिम्मेदारी है इन पंछियों को बचाने के लिए हम सबको जागरूक होना होगा।
मीनू बरकाती शेरपुर कलां पुरनपूर पीलीभीत उत्तर प्रदेश से बातचीत पर आधारित
रिपोर्ट: अजीत कुमार, थिंक मीडिया ब्यूरो, जिला पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
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