नई दिल्लीः पिछले कई सालों से भारत के असम में रोहिंग्याओं के रहने का मामला काफी तूल पकड़ चुका है। जिसमें कई राजनीतिक पार्टियां भी अपनी-अपनी राय दे चुकी हैं। अभी तक इन रोहिंग्याओं के भारत में रहने पर वैध और अवैध तरीके को लेकर विवाद था। जिसपर अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला साफ कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में रोहिंग्याओं को वापस म्यांमार जाने का आदेश दिया है। जिसके तहत भारत ने गुरुवार को पहली बार सात रोहिंग्याओं को म्यांमार वापस भेजा है। वे छह साल से अवैध रूप से असम में रह रहे थे। इन सभी रोहिंग्याओं को मणिपुर के मोरेह सीमा चौकी पर म्यांमार के अधिकारियों के हवाले किया गया है। ये सातों साल 2012 से सिलचर के डिटेंशन सेंटर में रह रहे थे।
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40 हजार रोहिंग्या हैं घुसपैठिए
बता दें कि, उन्ही की तरह करीब 40 हजार रोहिंग्या घुसपैठिए तरीके से भारत में रह रहे हैं। जिसके खिलाफ सु्प्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की गई थी। वहीं, हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से घुसपैठियों की पहचान करने को भी कहा है।
सभी राज्यों को देनी होगी अवैध शरणार्थियों की रिपोर्ट- राजनाथ
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी राज्यों को ये आदेश दिया हुआ है कि, रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर राज्य सरकारें अपनी-अपनी रिपोर्ट तैयार कर उन्हें देंगी। रोहिंग्या को वापस भेजने के लिए इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार म्यांमार से कूटनीतिक माध्यमों से बात करेगी। इसके अलावा रोहिंग्या संकट से निपटने के लिए पहले ही राज्यों को उनकी पहचान और बायोमैट्रिक डाटा जुटाने का भी निर्देश दिया जा चुका है।
केरल में एक्शन
केरल पुलिस की जानकारी के मुताबिक, मंगलवर को विझिंजम में खुफिया जानकारी के बाद पुलिस ने पांच सदस्यों वाले एक रोहिंग्या परिवार को हिरासत में लिया है। इनके पास यूएन के अफसर की ओर से हैदराबाद में जारी किया गया शरणार्थी कार्ड भी पाए गए हैं। ये लोग हैदराबाद-त्रिवेंद्रम सबरी एक्सप्रेस से सोमवार रात तिरुवनंतपुरम पहुंचे थे।
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