नई दिल्ली: अमेरिका की धमकियों के बाद भी भारत रूस के साथ दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार खरीदने का मूड बना चुका है। लेकिन इस मिसाइल में ऐसा क्या खास है जिसकी वजह से भारत इसे खरीदने के लिए किसी से भी दुश्मनी मोल तक लेने को तैयार हो चुका है।
बता दें कि, इस S-400 मिसाइल के बाद भारत की सैन्य शक्ति सबसे मजबूत सेना में से एक होगी। S-400 एक डिफेंस मिसाइल सिस्टम है। इस सिस्टम को खरीदने के लिए भारत को पांच अरब डॉलर तक खर्च करने पड़ सकते हैं। इससे भारत का वायु रक्षा तंत्र को मजबूती मिलेगी। ये मिसाइल लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी घात लगा सकती है।
S-400 मिसाइल सिस्टम की 12 बड़ी खासियत
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जमीन से हवा में मार करने वाला दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। सिस्टम एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु मिसाइलों को भी 400 किलोमीटर पहले ही खत्म करने की क्षमता रखता है।
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चीन के पास मौजूद है ये। हालांकि इसका खुलासा नहीं हुआ है कि इसमें उसने कौन सी मिसाइलें लगाई है।
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इसमें तीन प्रमुख चीजें मिसाइल लॉन्चर, शक्तिशाली रडार और कमांड सेंटर लगे हुए है।
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रडार 600 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य रखता है।
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ये हवाई हमलों के साथ ही जमानी स्तर की लड़ाई में सक्षम है।
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रूस इस सिस्टम के जरिए सीरिया में स्थापित अपने सैन्य अड्डों की रक्षा करता है।
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पहली बार इसका इस्तेमाल साल 2007 में मॉस्को की रक्षा के लिए किया गया था।
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इसके लॉन्चर से 48N6 सीरीज की मिसाइलें लॉन्च की जा सकती है।
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इसे रूस की सरकारी कंपनी अलमाज-एंटी ने बनाया है।
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इसका नाम S-400 है लेकिन नॉटो में इसको SA-21 ग्रॉउलर कहा जाता है।
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यह सिस्टम रूस के ही S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है।
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यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है।
क्यों है भारत को इसकी जरूरत
- S-400 भारतीय वायुसेना में ‘बूस्टर शॉट’ का काम करेगा।
- पाकिस्तान के पास अपग्रेडेड एफ-16 से लैस 20 फाइटर स्क्वैड्रन्स मौजूद है।
- चीन से पाक ने J-17 भी बड़ी संख्या में लिए हुए है।
- चीन के पास 1,700 फाइटर है, जिनमें 800 4-जेनरेशन फाइटर है।
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