नई दिल्लीः कानून के नियमों का उल्लंघन करने पर सभी मीडिया घरानों पर 10-10 लाख का जुर्माना लगा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सभी मीडिया घरानों को ये जुर्माना जम्मू-कश्मीर पीड़ित मुआवजा कोष में देना होगा।
हालांकि, मीडिया ने अपनी इस गलती के लिए कोर्ट से माफी भी मांगी है। लेकिन उन्हें ये जुर्माना देना ही होगा। जिसेक लिए 1 हफ्ते का समय दिया गया है।
मीडिया घरानों की ओर से पेश वकीलों ने हाईकोर्ट को बताया कि, पीड़िता की पहचान जाहिर करने की गलती कानून की जानकारी नहीं होने और इस गलतफहमी के कारण हुई कि चूंकि पीड़िता की मौत हो चुकी है, ऐसे में उसका नाम लिया जा सकता है।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरिशंकर की बैंच ने निर्देश दिया कि मुआवजा राशि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास हफ्ते भर के अंदर जमा की जाए और राशि जम्मू-कश्मीर विधिक सेवा प्राधिकरण के खाते में भेजी जाए जिसे राज्य की पीड़ित मुआवजा योजना के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा।
बता दें कि, कानून के तहत बैंच ने निर्देश दिया कि यौन अपराधों के पीड़ितों की निजता और पीड़ितों की पहचान जाहिर करने के दंड से संबंधित कानून के बारे में व्यापक और निरंतर प्रचार किया जाए।
वहीं, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 228ए ऐसे अपराधों में पीड़ितों की पहचान जाहिर करने से संबंधित है। आईपीसी के तहत ऐसे मामलों में दो साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
इस मामले में हाईकोर्ट ने अभी तक 12 मीडिया घरानों को 13 अप्रैल को नोटिस जारी किए थे। जिसमें पीड़िता का नाम, पता, तस्वीर, पारिवारिक ब्यौरा, स्कूल संबंधी जानकारी, पड़ोस का ब्यौरा जैसी अन्य जानकारियां दी गई है।