नई दिल्लीः सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जाने माने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कार्यकाल का अंखिरी दिन था। उनके इस आखिरी पल को यादगार बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने विदाई कार्यक्रम रखा था। इस दौरान दीपक मिश्रा को काफी भावुक अंदाज में देखा गया।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि, वो कभी भी लोगों को उनके इतिहास के आधार पर नहीं परखते। उनकी हमेशा कोशिश रही है कि, वे लोगों को उनके कर्म और नजरिए के आधार पर ही परखें। उन्होंने कहा कि, भारतीय न्याय व्यवस्था पूरी दुनिया में सबसे मजबूत है। उनके साथ जस्टिस रंजन गोगोई भी थे, जो चीफ जस्टिस मिश्रा के बाद इस पद को संभालेंगे।
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असोसिएशन का कहा शुक्रिया
इस दौरान जब एक वकील ने एक गीत के जरिए उनके लंबे जीवन की कामना की तो चीफ जस्टिस ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा कि, अभी वो ‘दिल से बोल रहे हैं’ हालांकि शाम के वक्त दिमाग से जवाब देंगे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वह बार असोसिएशन के कर्जदार हैं और वह यहां से पूरी संतुष्टि के साथ विदा ले रहे हैं। बता दें कि, पिछले दस दिनों में आधार, समलैंगिकता, विवाहेतर और सबरीमला जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण फैसले सुनवाई कर चुके हैं।
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युवा वकीलों की जमकर तारीफ
उन्होंने युवा वकीलों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि युवा वकीलों और स्टूडेंट्स के पास असीमित क्षमता है।
जस्टिस मिश्रा का सफर
-जस्टिस मिश्रा को 17 जनवरी 1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
-इसके बाद उनका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में तबादला।
-19 दिसंबर 1997 को स्थायी न्यायाधीश बने।
-23 दिसंबर 2009 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया।
-24 मई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।
-10 अक्टूबर 2011 को प्रमोट होकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और 28 अगस्त 2017 को देश के प्रधान न्यायाधीश बने।
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