अमेठी से अशोक श्रीवास्तव की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन का उत्तर प्रदेश के अमेठी में अधिकारियों द्वारा जमकर मखौल उड़ाया गया। लगभग 1 अरब 50 करोड़ रुपया स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय के निर्माण में कंगजों में दिखाकर खर्च कर दिया गया और जिले को खुले में शौच मुक्त यानी ओडीएफ घोषित कर दिया गया जबकि हकीकत कोसों दूर है।
ग्राम प्रधान व पंचायत सेक्रेटरी की मिली भगत कर अपने चहेते ठेकेदारों से गांवों में आधा अधूरा निर्माण शौचालय का कराया जिसमे किसी मे छत नहीं तो किसी मे दरवाजा नही, तो किसी मे सीट नहीं और हद तो ये हो गयी कि कहीं कहीं दिखावे के लिये केवल छोटा सा गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया। निष्प्रयोज्य शौचालयों में लाभार्थी लकड़ी व उपले आदि रखकर उसका उपयोग कर रहे है।
सरकार द्वारा लाभार्थी के खाते में प्रति लाभार्थी 12 हजार रुपया उसके बैंक खाते में दिए जाने का निर्देश दिया गया था लेकिन सरकारी आदेश को ठेंगा दिखाते हुए पंचायत कर्मी मनमानी सरकारी धन का बन्दरबांट कर लिया। ग्राम प्रधान के चुनाव के पहले जो व्यक्ति किसी साधन के इंतजार में रुकता था वही व्यक्ति प्रधान होने के बाद 4 पहिया व 2 पहिया वाहन का मालिक बन गया।
जिले के विकास खण्ड जामो के गांव लालपुर , बाज़ारशुक्ल के गांव मोहिद्दीनपुर, संग्रामपुर के करौंदी, बदलापुर, ठेंगहा व चन्डेरिया आदि गांव तो उदाहरण की बानगी मात्र हैं।
क्या जिलास्तरीय अधिकारी की नजर शौचालय निर्माण में हुए भ्रष्टाचार पर पड़ेगी।