नई दिल्लीः भारतीय पुराणों में माता लक्ष्मी की उत्पत्ति को लेकर कई मत देखे गए हैं। मां लक्ष्मी के जन्म को लेकर अभी तक कोई एक मत नहीं देखा गया है। हालांकि, एक कथा के अनुसार माता लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान निकले रत्नों के साथ हुई थी। तो वहीं, एक दूसरी कथा के अनुसार वे भृगु ऋषि की बेटी हैं।
शिवपुराण के रहस्य
दरअसल, पुराणों की कथा में छुपे इस रहस्य को जानना थोड़ा मुश्किल होता है। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के माता-पिता का नाम सदाशिव और दुर्गा है। उसी तरह तीनों देवियों के भी माता-पिता रहे हैं। समुद्र मंथन से जिस लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी, वो स्वर्ण के पाए जाने के ही संकेत हो सकते हैं। समुद्र मंथन से निकली लक्ष्मी को वैभव और समृद्धि से जोड़कर देखा गया जिसमें सोना-चांदी आदि कीमती धातुएं थीं, जो कि मां लक्ष्मी का ही प्रतीक माने जाते है।
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जन्म का समय
शास्त्रों के अनुसार मां लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। कार्तिक कृष्ण अमावस्या को उनकी पूजा की जाती है।
नाम : देवी लक्ष्मी।
मां लक्ष्मी के नाम का अर्थ : ‘लक्ष्मी’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है- एक ‘लक्ष्य’ तथा दूसरा ‘मी’ अर्थात लक्ष्य तक ले जाने वाली देवी लक्ष्मी।
मां के दूसरे नाम : श्रीदेवी, कमला, धन्या, हरिवल्लभी, विष्णुप्रिया, दीपा, दीप्ता, पद्मप्रिया, पद्मसुन्दरी, पद्मावती, पद्मनाभप्रिया, पद्मिनी, चन्द्र सहोदरी, पुष्टि, वसुंधरा आदि नाम प्रमुख हैं।
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माता-पिता : ख्याति और भृगु।
भाई : धाता और विधाता
बहन : अलक्ष्मी
पति : भगवान विष्णु।
पुत्र : 18 पुत्रों में से प्रमुख 4 पुत्रों के नाम हैं- आनंद, कर्दम, श्रीद, चिक्लीत।
निवास : क्षीरसागर में भगवान विष्णु के साथ कमल पर वास करती हैं।
मां की पूजा के लिए सबसे खास दिन : ज्योतिषशास्त्र एवं धर्मग्रंथों में शुक्रवार की देवी मां लक्ष्मी को माना गया है।
वाहन : उल्लू और हाथी।
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एक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू है और धन की देवी महालक्ष्मी का वाहन हाथी है। कुछ के अनुसार उल्लू उनकी बहन अलक्ष्मी का प्रतीक है, जो सदा उनके साथ रहती है। देवी लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी भ्रमण करने आती हैं।
दो सबसे खास रूप : लक्ष्मीजी की अभिव्यक्ति को दो रूपों में देखा जाता है- 1. श्रीरूप और 2. लक्ष्मी रूप।
श्रीरूप में वे कमल पर विराजमान हैं और लक्ष्मी रूप में वे भगवान विष्णु के साथ हैं। महाभारत में लक्ष्मी के ‘विष्णुपत्नी लक्ष्मी’ एवं ‘राज्यलक्ष्मी’ दो प्रकार बताए गए हैं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार लक्ष्मी के दो रूप हैं- भूदेवी और श्रीदेवी। भूदेवी धरती की देवी हैं और श्रीदेवी स्वर्ग की देवी। पहली उर्वरा से जुड़ी हैं, दूसरी महिमा और शक्ति से। भूदेवी सरल और सहयोगी पत्नी हैं जबकि श्रीदेवी चंचल हैं। विष्णु को हमेशा उन्हें खुश रखने के लिए प्रयास करना पड़ता है।
मां का बीज मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम:।।
हिंदू धर्म में क्यों सबसे खास है मां लक्ष्मी की पूजा
व्रत-पूजा : लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मीजी की आरती, लक्ष्मी की महिमा, लक्ष्मी व्रत, लक्ष्मी पूजन आदि। दीपावली पर लक्ष्मीजी की पूजा गणेशजी के साथ की जाती है। देवी लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु के साथ ही होती है। जहां ऐसा नहीं होता वहां लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी निवास करती है।
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