भारतीय शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया सबसे उत्तम पर्व होता है। जो बैशाख मास के शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। जो इस बार 18 अप्रैल को मनाया जाएगा। इसी दिन परशुराम जी का जन्मदिन भी मनाया जाता है। ये सतयुग त्रेतायुग का आरंभ, भगवान विष्णु का अवतार, द्वापर युग का समापन, गंगा का आगमन और बद्री नाथ का कपाट खुलने का दिन है।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया यानी अखातीज को भगवान श्रीहरि विष्णु जी की उपासना और लक्ष्मी जी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके पीछे यह मान्यता है कि इससे साल भर आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है।
ऐसे करें पूजा एवं मंत्र जाप :-
– अक्षय तृतीया के दिन शाम के समय उत्तरमुखी होकर लाल आसान पर बैठकर मां लक्ष्मीजी की उपासना करें।
– पूजन शुरू करने से पहले एक लाल कपडे़ पर लक्ष्मीजी का चित्र स्थापित करके उसके सम्मुख 10 लक्ष्मीकारक कौडियां रखें एवं शुद्ध घी का दीपक जला लें।
– अब लक्ष्मीजी का षोडशोपचार पूजन करके हर कौड़ी पर सिन्दूर चढाएं तथा लाल चंदन की माला से निम्न में से एक मंत्र की 5 माला का जाप करें।
लक्ष्मी को प्रसन्न करने के खास मंत्र :-
– ॐ आध्य लक्ष्म्यै नम:
– ॐ विद्या लक्ष्म्यै नम:
– ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:
– ॐ अमृत लक्ष्म्यै नम: